Sunday, December 2, 2012

बैंक के दायरे में सभी परिवारों का वित्‍तीय समावेश

लक्ष्‍य अगस्‍त, 2014 तक प्राप्‍त कर लिया जाएगा
वित्‍त विशेष लेख                                                 रविन्‍दर सिंह
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      वित्‍तीय समावेश का अर्थ देश की ऐसी आबादी तक वित्‍तीय सेवाएं पहुंचाना है, जो अभी तक इसके दायरे में नहीं हैं। इसका उद्देश्‍य विकास क्षमता को बढ़ाना है। इसके अलावा इसका उद्देश्‍य गरीब लोगों को वित्‍तीय समावेश के जरिए वित्‍त उपलब्‍ध कराना है। इस वर्ष के स्‍वतंत्रता दिवस पर दिये गए अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि  ‘ये हमारा प्रयास होगा कि हम अगले दो वर्षों में सभी परिवारों के लिए बैंक खातों के लाभ को सुनि‍श्‍चि‍त करें।’ इसको मद्देनजर रखते हुए स्‍वाभिमान के तहत बैंक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। ऐसा अभियान भी शुरू किया गया है कि कम से कम एक परिवार के पास एक बैंक खाता अवश्‍य हो। आशा की जाती है यह लक्ष्‍य अगस्‍त, 2014 तक प्राप्‍त कर लिया जाएगा।बैंक शाखाओं का नेटवर्क
    31 मार्च, 2012 तक देश में काम करने वाले अधिसूचित वाणिज्‍य बैंकों की कुल 93,659 शाखाएं हैं। इनमें से 34,671 (37.02 प्रतिशत) शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। इसके अलावा 24,133 (25.77 प्रतिशत) शाखाएं कस्‍बों में हैं और 18,056 (19.28 प्रतिशत) शहरी क्षेत्रों में तथा 16,799 (17.93 प्रतिशत) शाखाएं महानगरीय क्षेत्रों में काम कर रही हैं।
बैंक शाखाएं खोलना
    वित्‍तीय समावेश और बैंक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की शाखाएं खोलने की आवश्‍यकता बढ़ रही है, जिसको देखते हुए सरकार ने अक्‍तूबर, 2011 में वित्‍तीय समावेश के संबंध में विस्‍तृत रणनीति और मार्ग निर्देश जारी किये थे। सरकार ने बैंकों को सलाह दी थी कि ऐसे सभी कम बैंकों वाले क्षेत्रों में जिनकी आबादी पांच हजार या उससे अधिक है और अन्‍य सभी जिलों में जिनकी आबादी दस हजार या उससे अधिक है, वहां शाखाएं खोली जाएं। जून, 2012 के अंत तक इन सभी क्षेत्रों में 1,237 शाखाएं (अति लघु शाखाओं सहित) खोली गईं।
आरआरबी शाखाओं की विस्‍तार योजना
    वित्‍तीय समावेशी योजना को प्रभावशाली बनाने और बिना बैंक/कम बैंक वाले ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बनाने के लिए आरआरबी को वर्ष 2011-12 और 2012-13 के लिए शाखा विस्‍तार के लिए काम करना आवश्‍यक हुआ। यह पिछले वर्ष के मुकाबले दस प्रतिशत की वृद्धि के साथ है। वर्ष 2011-12 के दौरान आरआरबी ने 1247 शाखाएं खोलने का लक्ष्‍य तय किया था। इस लक्ष्‍य के अनुरूप आरआरबी ने 913 शाखाएं खोली हैं। यह लक्ष्‍य से कम है, लेकिन 2010-11 में खोली गईं 521 शाखाएं तथा 2009-10 में खोली गई 299 शाखाओं के मुकाबले बहुत अधिक है। वर्ष 2012-13 के लिए 1,845 नई शाखाएं खोलने का लक्ष्‍य तय किया गया है।
आरआरबी शाखाओं को खोलने की नीति को उदार बनाना
   भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने एक अगस्‍त, 2012 को जारी सर्कुलर में आरआरबी की ब्रांच लाइसेंसिंग नीति को उदार बना दिया है और उसने आरआरबी को अनुमति दे दी है कि वह टीयर 2-6 केन्‍द्रों (2001 की जनगणना के अनुसार जिन केन्‍द्रों की आबादी 99,999 हो) में शाखाएं खोले और इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति की आवश्‍यकता नहीं होगी। इसके लिए आवश्‍यक है कि वे कतिपय शर्तों को पूरा करें। जो आरआरबी शर्तों को पूरा नहीं करते हैं, उन्‍हें भारतीय रिजर्व बैंक/नबार्ड से अनुमति लेनी होगी। टीयर-1 केन्‍द्रों (2001 की जनगणना के अनुसार जहां आबादी 100,000 या उससे अधिक हो) वहां शाखाएं खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी।
स्‍वाभि‍मान-वि‍त्‍तीय समावेशी अभि‍यान

बैंकिंग की पहुंच ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ाने के लि‍ए बैंकों को मार्च 2012 तक 2000 से अधि‍क आवादी वाले स्‍थानों पर समुचि‍त सुवि‍धाएं मुहैया कराने को कहा गया है। उन्‍हें वाणि‍ज्‍यि‍क एजेंटों- बीसीए के माध्‍यम से शाखारहि‍त बैंकिंग सहि‍त वि‍भि‍न्‍न मॉडलों और प्रौद्योगि‍की का इस्‍तेमाल करते हुए, यह काम पूरा करने को कहा गया है। ‘’स्‍वाभि‍मान’’ नाम का यह समावेशी अभि‍यान सरकार द्वारा औपचारि‍क रूप से फरवरी 2011 में शुरू कि‍या गया था। इस अभि‍यान के तहत मार्च 2012 तक 74 हजार 194 गांवों में बैंकिंग सुवि‍धा मुहैया कराई गई है और लगभग 3 करोड़ 16 लाख वि‍त्‍तीय खाते खोले गए हैं। वि‍त्‍त मंत्री के 2012-13 के वजट भाषण में ‘’स्‍वाभि‍मान’’ अभि‍यान को पूर्वोत्‍तर और पर्वतीय राज्‍यों में 1000 से अधि‍क आवादी और 2011 के जनगणना के मुताबि‍क 2000 से अधि‍क आबादी वाले स्‍थानों पर पहुंचाने का फैसला कि‍या गया। इसी के अनुरूप इस अभि‍यान को पहुंचाने के लि‍ए 45 हजार ऐसी आबादी की पहचान की गई है।
अत्‍यंत लघु शाखाओं की स्‍थापना
संबंधि‍त बैंकों द्वारा वाणि‍ज्‍यि‍क एजेंटों के कार्यों पर नि‍गरानी रखने और उन्‍हे सलाह देने की आवश्‍यकता को देखते हुए तथा नि‍र्दि‍ष्‍ट गांवों में बैंकिंग सुवि‍धा सुनि‍श्‍चि‍त करने के लि‍ए बीसीए के माध्‍यम से अत्‍यंत लघु बैंकिंग शाखाएं-यूएसबी स्‍थापि‍त करने का फैसला कि‍या गया है। ये शाखाएं 100 से 200 वर्ग फुट में होंगी। जहां बैंकों द्वारा नि‍र्दि‍ष्‍ट की गई अधि‍कारी पहले से तय कि‍ए गए दि‍नों को लैपटॉप के साथ उपलब्‍ध रहेंगे। नकदी की सुवि‍धा बैंकिंग एजेंटों द्वारा दी जाएगी जबकि‍ बैंक अधि‍कारी अन्‍य सुवि‍धाएं उपलब्‍ध कराएंगे। वे जमीनी स्‍तर पर सत्‍यापन तथा बैंकिंग लेन-देन का काम करेंगे। क्षेत्र में व्‍यापारि‍क संभावनाओं के अनुसार दौरे और कार्यक्रम बढ़ाएं जा सकते हैं। 
बि‍ना बैंक वाले प्रखंडों में बैंकिंग सुवि‍धाएं 
बि‍ना बैंक वाले प्रखंडों में बैंकिंग सुवि‍धाएं उपलब्‍ध कराने के लि‍ए सरकार ने जुलाई 2009 में 129 ऐसे प्रखंडों की पहचान की थी। इनमें से 91 प्रखंड पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में है और 38 अन्‍य राज्‍यों में हैं। सरकार के नि‍रंतर प्रयासों से 31 मार्च 2011 तक बि‍ना बैंक वाले प्रखंडों की संख्‍या घटकर 71 रह गई है और मार्च 2012 तक बैंकिंग सुवि‍धाएं सभी गैर-बैंकिंग प्रखंडों में स्‍थायी बैंकों या बैंकिंग एजेंटों या मोबाईल बैंकिंग के जरि‍ए उपलब्‍ध कराई जा रही है।
प्रत्‍येक परि‍वार में एक बैंक खाता खोलना
    केंद्र और राज्‍य सरकारों की वि‍भि‍न्‍न योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों के खाते में इलेक्‍ट्रॉनि‍क अंतरण के जरि‍ए नकदी का लाभ पहुंचाना सुनि‍श्‍चि‍त करने के लि‍ए यह आवश्‍यक है कि‍ की लाभार्थियों का खाता संबंधि‍त बैंक में हो। इसी के अनुरूप बैंकों को सलाह दी गई है कि‍ ग्रामीण क्षेत्रों के सर्विस एरि‍या वाले बैंकों तथा शहरी इलाकों के वि‍शेष वार्डों में इस उत्‍तरदायि‍त्‍व के लि‍ए चुने गये बैंक यह सुनि‍श्‍चि‍त करें कि‍ प्रत्‍येक परि‍वार में कम से कम एक बैंक खाता हो।
सलाहकार समि‍ति‍
     भारतीय रि‍जर्व बैंक ने वि‍त्‍तीय समावेशन के प्रयासों को तेजी से आगे बढ़ाने के लि‍ए एक उच्‍च स्‍तरीय वि‍त्‍तीय समावेशी सलाह समि‍ति‍-एफआईएसी गठि‍त की है। इस समि‍ति‍ के सदस्‍यों की सामूहि‍क  वि‍शेषज्ञता तथा अनुभवों से यह उम्‍मीद की जाती है कि‍ वे बैंकिंग नेटवर्क से बाहर के ग्रामीण तथा शहरी उपभोक्‍ताओं के लि‍ए वहन करने योग्‍य वि‍त्‍तीय सेवाओं पर केन्‍द्रि‍त टि‍काऊ बैंकिंग सुवि‍धा की ओर ध्‍यान देंगे और समुचि‍त नि‍यामक व्‍यवस्‍था का ढ़ांचा सुझाएंगे ताकि‍ वि‍त्‍तीय समावेशन और वि‍त्‍तीय स्‍थि‍रता साथ-साथ चलाई जा सके। इस समि‍ति‍ के अध्‍यक्ष रि‍जर्व बैंक के डि‍प्‍टी गवर्नर डॉ. के सी चक्रबर्ती हैं तथा इसमें बैंकिंग और वि‍त्‍तीय क्षेत्र के 11 सदस्‍य शामि‍ल हैं। इ‍समें भारत सरकार के वि‍त्‍त मंत्रालय के वि‍त्‍तीय सेवा वि‍भाग में सचि‍व श्री डी के मि‍त्‍तल भी शामि‍ल हैं।

यह समि‍ति‍ अगर आवश्‍यक हुई तो कॉरपोरेट तथा बि‍जनेस की कवरेज करने वाले कॉरस्‍पॉेडेंट तथा प्रौद्योगि‍की से जुड़े अन्‍य लोगों को भी वि‍शेष आमंत्रि‍त सदस्‍यों के रूप में बैठक में बुला सकती है। चूंकि‍ भारत में चयनि‍त वि‍त्‍तीय समावेशी प्रारूप प्राथमि‍क रूप से बैंक आधारि‍त है इसलि‍ए वि‍त्तीय समावेशी सलाहकार समि‍ति‍ अपनी प्रत्‍येक बैठक में बैंकों के अध्‍यक्ष सह प्रबंध नि‍देशकों को भी आमंत्रि‍त कर सकती है ताकि‍ बैंकों का नजरि‍या भी मालूम हो सके।

वि‍त्‍तीय समावेशन बढ़ाने की दि‍शा में उल्‍लेखनीय लेकि‍न धीमी प्रगति‍ हो रही है। हालांकि‍ भारत के सभी 6 लाख गांवों में वहन करने योग्‍य वि‍त्‍तीय सेवाएं सुनि‍श्‍चि‍त कराना एक बहुत ही बड़ा कार्य है। इसके लि‍ए सभी संबंधि‍त पक्षों- भारतीय रि‍जर्व बैंक अन्‍य सभी क्षेत्रों के नि‍यामकों जैसे भारतीय प्रति‍भूति‍ एवं वि‍नि‍मय बोर्ड, पेंशन कोश नि‍यामक और वि‍कास प्राधि‍करण, राष्‍ट्रीय कृषि‍ एवं ग्रामीण वि‍कास बैंक, बैंकों, राज्‍य सरकारों, समाजि‍क संगठनों तथा गैर-सरकारी संगठनों के बीच एक साझेदारी की आवश्‍यकता है।   (PIB)   
27-नवंबर-2012 18:16 IST                 
 बैंक के दायरे में सभी परिवारों का वित्‍तीय समावेश
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वि.कासोटिया/अरूण/अजीत/मनोज/यशोदा-289

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