Tuesday, September 25, 2012

मसालों की खेती

भारत के पांच राज्य प्रमुख मसाला उत्पादक 
भारत में कई तरह के मसालों की खेती होती है जिनका उत्पादन 57 लाख टन प्रति वर्ष से अधिक है. आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक और मध्य प्रदेश प्रमुख मसाला उत्पादक राज्य हैं.
(पत्र सूचना कार्यालय)मसालों की खेती

Sunday, September 23, 2012

पैसे तो पेड़ पर उगते नहीं है//राजीव गुप्ता

Sat, Sep 22, 2012 at 3:26 PM
सारा मुद्दा अब संसद से सड़क तक पंहुचा 
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार पर हो रहे चौतरफा हमलो का जबाब देने के लिए अब खुद एक अर्थशास्त्री के रूप में कमान सम्हाल ली है. परन्तु यह भी एक कड़वा सच है कि यूपीए - 2  इस समय अपने कार्यकाल के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. जनता की नजर में सरकार की साख लगातार नीचे गिरती जा रही है. सरकार के हठ के कारण उसके तृणमूल कांग्रेस जैसे अहम् सहयोगी अब सरकार से किनारा तो काट चुके है लेकिन दूसरे सहयोगी भी अवसर की राजनीति खेलते हुए सरकार से मोल-भाव करने की तैयारी में है. कांग्रेस की अगुआई वाली यूंपीए-2 सरकार ने उसी आम-आदमी को महगाई और बेरोजगारी से त्राहि-त्राहि करने पर मजबूर कर दिया है जिसके बलबूते पर वह सत्ता में वापस आई है. सरकार ने आर्थिक सुधार के नाम पर जन-विरोधी और जल्दबाजी में लिए गए फैसलों के कारण सारा मुद्दा अब संसद से सड़क तक पंहुचा दिया है. समूचे विपक्ष के डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी, घरेलू गैस पर सब्सिडी कम करने तथा प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश (एफडीआई) पर सरकार के फैसले के खिलाफ भारत बंद की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के कबिनेट के फैसले का नोटिफिकेशन जारी कर यह जताने की कोशिश की सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगी. 

इतना ही नहीं गत शुक्रवार को देश को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने सरकार की तरफ से मोर्चा सँभालते हुए जनता को अपने उन तीनो फैसलों डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी, घरेलू गैस पर सब्सिडी कम करने तथा खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश पर सफाई देने की कोशिश की. मनमोहन सिंह ने अपने लघु-भाषण में यह बताने की कोशिश की लगातार हो रहे सरकारी वित्तीय घाटे के चलते "उन्होंने" ये फैसले मजबूरी में लिए है परन्तु वे यह बताने से पूरी तरह कन्नी काट गए कि यूपीए कार्यकाल के दौरान अभी तक जितने भी घोटाले हुए है वे पैसे कहा गए ? आखिर वे पैसे भी आम जनता के ही जेब से गए थे. सुरसा रूपी प्रतिदिन बढ़ती महंगाई और दम तोडती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु घोटालो के पैसो और काले धन को वापस भारत लाकर सरकारी घाटे को कम किया जा सकता था. साथ ही हमें यह समझना होगा कि अभी भारत की हालत इस समय कोई 1991 के कार्यकाल की तरह नहीं है कि हमें विदेशों से कर्ज लेकर अपनी अर्थव्यवस्था को बचाना पड़ेगा जिसका हवाला प्रधानमंत्री बार-बार दे रहे है. बहरहाल मनमोहन सिंह के इस बयान कि "पैसे तो पेड़ पर उगते नहीं है" ने आग में घी डालने का काम किया. सरकार आर्थिक  सुधारों के नाम पर जल्दबाजी में  अपने नए - नए फैसलों के कारण समूचे विपक्ष समेत अपने सहयोगियों को भी अचंभित कर उन्हें विरोध करने के लिए मजबूर कर रही है. ध्यान देने योग्य है कि इससे पहले  24 नवम्बर 2011 को खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के सबंध में सरकार ने फैसला लेकर अपनी मुसीबत और बढ़ा ली थी जिसके चलते  शीतकालीन सत्र के दोनों सदन दिन भर के लिए स्थगित हो गए थे.  महंगाई , भ्रष्टाचार , कोलगेट और कालेधन पर चौतरफा घिरी सरकार ने अपनी नाकामियों को छुपाने एवं अपनी बची - खुची साख सुधारने के लिए जो तुरुप का एक्का चला वही उसके गले की फांस बन गया.

खुदरा क्षेत्र सहित नागरिक उड्डयन तथा चार सार्वजनकि कंपनियों में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश को सरकार द्वारा हरी झंडी देने के बाद राजनैतिक दलों में जैसी मोर्चाबंदी हुई है, उससे केंद्र की राजनीतिक स्थिरता पर अनिश्चिता का संकट मंडराना अब स्वाभाविक ही है. इस समय भारत की जनता के सम्मुख राजनैतिक दलों की विश्वसनीयता ही सवालो के घेरे में है. परन्तु इन सब उठापटक के बीच सरकार मौन होकर स्थिति को भांप रही है. सरकार आर्थिक सुधार के नाम पर देश-विदेश में अपनी छवि सुधारने की कवायद में लगी है क्योंकि स्वयं मनमोहन सिंह ने ही कह दिया था कि अगर जाना होगा तो लड़ते-लड़ते जायेंगे. किसी देश का प्रधानमंत्री "शहीदी वाला" ऐसा वक्तव्य किसी सामान्य स्थिति में नहीं दे सकता. विश्व प्रसिद्द अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ऐसे स्वार्थी-फैसले अपनी छवि सुधारने के लिए ले रहे है अगर ऐसा माना लिया जाय कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. ध्यान देने योग्य है कि अभी हाल में ही उन्हें विदेशी मीडिया की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था. कल तक मनमोहन सिंह को अक्षम, निर्णय न करने वाले, उपलब्धि-विहीन साबित करते विदेशी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के सुर अचानक बदल गए. वॉल स्ट्रीट जरनल, वाशिंगटन टाइम्स, टाइम्स इत्यादि ने सरकार के इन कदमों का समर्थन करते हुए कहा है कि इससे सरकार की छवि बदलेगी.

सरकार अपने इन फैसलों को लेकर इसलिए निश्चिन्त है कि उसके पास सरकार चलाने के लिए पर्याप्त संख्या बल है और अगर कभी उस संख्या बल में कोई कमी आई तो उसके पास आर्थिक पैकेज और सीबीआई रूपी ऐसी कुंजी है जिसकी बदौलत वह किसी भी दल को समर्थन देने के लिए मजबूर कर सकती है. अगर इतने में भी बात न बनी और मध्यावधि चुनाव हो भी गए तो कांग्रेस द्वारा जनता को यह दिखाने के लिए हमने अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने की कोशिश तो की थी पर इन राजनैतिक दलों ने आर्थिक सुधार नहीं होने दिया का ऐसा भंवरजाल बुना जायगा कि आम-जनता उसमे खुद फस जायेगी. इतना ही नहीं अभी आने वाले दिनों सरकार संभव है सरकार आने वाले दिनों में इंश्योरेंस क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने से लेकर पेंशन क्षेत्र में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश, एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक, विदेशी शिक्षा संस्थानों की अनुमति आदि जैसे निर्णय लेगी जिससे कि राजनैतिक दलों को यह समझने का मौका ही नहीं मिलेगा कि सरकार के किस - किस फैसले का वह विरोध करे. ऐसा करना सरकार की मजबूरी भी है क्योंकि इस वर्तमान सरकार के पास जनता को केवल भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट के आरोपों पर जवाब देने के अलावा और कुछ है नहीं.

महंगाई बेकाबू हो चुकी है और इसकी की मार से आम जनता त्राहि - त्राहि कर रही है. महंगाई से निपटने के लिए सरकार सिर्फ जनता को  आश्वासन देने के लिए एक नयी तारीख देकर कुछ समय के लिए मामले को टाल देती है. सरकार के लिए महंगाई का मतलब कागजों पर जारी आंकड़ों से ज्यादा कुछ नहीं अगर ऐसा मान लिया जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. आम आदमी जो छोटे - मोटे व्यापार से अभी तक अपना परिवार पाल रहा था उसको बेरोजगार करने का सरकार ने अपने इस फैसले से पुख्ता इंतजाम कर लिया है क्योंकि खुदरे व्यापार से सीधे आम जनता का सरोकार है.  सरकार का तर्क है कि उसके इस कदम से करोडो लोगों को रोजगार मिलेगा जो कि सिर्फ बरगलाने वाला तर्क - मात्र  से ज्यादा कुछ  नहीं है क्योंकि उसके इस कदम से जितने लोगो को रोजगार मिलेगा उससे कई गुना ज्यादा लोगो की जैसे रेहडी-पटरी लगाने वाले,  फ़ल-सब्जी बेचने वाले, छोटे दुकानदार, इत्यादि प्रकार के मध्यम और छोटे व्यापारियों की रोजी-रोटी छिन जायेगी. इन छोटे व्यापारियों का क्या होगा , इस सवाल पर सरकार मौन है , और न ही सरकार के पास इनका कोई विकल्प है .

भारत जैसा देश जहां की आबादी लगभग सवा सौ करोड़ हो , आर्थिक सुधार की अत्यंत आवश्यकता है परन्तु आर्थिक सुधार भारतीयों के हितों को ध्यान में रखकर करना होगा न कि विदेशियों के हितो को ध्यान में रखकर . अतः सरकार जल्दबाजी में बिना किसी से सलाह किये चाहे वो राजनैतिक पार्टियाँ हो अथवा आम जनता लगातार फैसले लेकर अपने को मजबूत इच्छाशक्ति वाली सरकार दिखाना चाहती है जो कि इस सरकार की  हठ्धर्मिता का ही परिचायक है . बढ़ रहे वित्तीय घाटे और "पैसे तो पेड़ पर उगते नहीं है" की आड़ में सरकार किसके इशारे पर तथा किसको खुश करने के लिये और साथ ही क्या छुपाने के लिए आर्थिक सुधार के नाम पर इतनी जल्दबाजी में इतने विरोधे के बावजूद  इतने बड़े - बड़े फैसले ले रही है असली मुद्दा यह है . क्योंकि बात चाहे सरकार द्वारा आर्थिक सुधारो के नाम पर बढाई गयी महंगाई की हो या डीजल और और घरेलू वस्तुओ की कीमतों में वृद्धि की हो अथवा विपक्ष के भारत बंद की हो , राजनेता तो राजनीति करते ही है परन्तु परेशानी तो आम जनता को ही होती है ऐसे में भला आम जनता जाये तो कहा जाये.

- राजीव गुप्ता, 9811558925

सर्वधर्म श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन

Sat, Sep 22, 2012 at 1:42 PM
23 से 29 सितम्बर तक विशेष आयोजन रोहिणी, दिल्ली में 
नई दिल्ली:तुलसी संस्था के सौजन्य और सतगुरू दर्शन धाम के सहयोग से दिनांक 23 से 29 सितम्बर 2012 तक श्री हनुमान मंदिर, सैक्टर-6 रोहिणी, दिल्ली-85 में श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। श्री अरविंद जी महाराज कथाव्यास होंगे। कथा दोपहर 3 बजे से प्रभु इच्छा (6 बजे) तक चलेगी। कार्यक्रम में दिगंबर नागा बाबा मांट मथुरा, महाराज चड़विंदा दास, श्री कंत महाराज एवंम देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले सर्वधर्म के संत महात्मा शिरकत करेंगे।तुलसी  की महासचिव कंचन गुप्ता और एक एनी वरिष्ठ पदाधिकारी अंकित राज गुप्ता की और से जरी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक कार्यक्रम का शुभारम्भ सौभाग्यशाली महिलाओं द्वारा मंगल कलश यात्रा (23 सितम्बर प्रातः 8 बजे) द्वारा किया जायेगा। सतगुरू दर्शन धाम की संगत निशान साहब के साथ यात्रा में शामिल होगी। पहले दिन कथा का महत्व बताया जाएगा। दूसरे दिन धु्रव चरित्र। तीसरे दिन नरसिंह व वामन अवतार। चैथे दिन रामावतार व नन्दोत्सव। पांचवे दिन गौवरधन लीला। छठे दिन रुकमणि मंगल। सातंवे दिन सुदामा चरित्र एवंम परिक्षित मोक्ष की कथा सुनाकर प्रसाद वितरण कर कथा विश्राम और 30 सितम्बर को हवन पूर्णाहूति होगी।
यदि आयोजन स्थल पर पहुँचाने में किसी तरह की कोई कठिनाई आए तो मोबाईल फोन नम्बर 9810234094 पर  या फिर एक एनी नम्बर 9868005599 पर सम्पर्क करके समय का समाधान पाया जा सकता है।  

Friday, September 14, 2012

हिंदी दिवस पर विशेष


राष्‍ट्रपति करेंगे पुरस्‍कार समारोह को संबोधित
कल 14 सितंबर 2012 को हिंदी दिवस के अवसर पर यहां विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी मुख्‍य अतिथि होंगे। समारोह की अध्‍यक्षता गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिन्‍दे करेंगे और गृह राज्‍य मंत्री श्री जीतेंद्र सिंह भी समारोह को सुशोभित करेंगे। 
समारोह में राज भाषा हिंदी से संबंधित विभिन्‍न क्षेत्रों में उत्‍कृष्‍ट प्रर्दशन करने वाले महानुभावों को राष्‍ट्रपति पुरस्‍कार प्रदान करेंगे। 
14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है, और उल्‍लेख‍नीय है कि 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने एकमत से हिंदी को राज भाषा घोषित किया था। इस ऐतिहासिक अवसर की स्‍मृति में हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 
(पत्र सूचना कार्यालय)      
                                       13-सितम्बर-2012 19:19 IST
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Wednesday, September 5, 2012

राष्‍ट्रपति ने यात्री सौर कार को हरी झंडी दी

120 किलो‍मीटर रफ्तार वाली यह कार पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज दिल्‍ली प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय-डीटीयू द्वारा निर्मित यात्री सौर कार को राष्‍ट्रपति भवन से हरी झंडी दिखाई।

यात्री सौर कार की रचना और निर्माण डीटीयू के एक दल ने किया हैं। इस दल में डीटीयू में इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं कम्‍यूनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के श्री धीरज मिश्रा के नेतृत्‍व में अलग-अलग शाखाओं के इंजीनियरिंग छात्र शामिल हैं। 120 किलो‍मीटर रफ्तार वाली यह कार पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है, जो कार्बन का उत्‍सर्जन नहीं करती है। इसमें दो लोगों के बैठने की व्‍यवस्‍था है लेकिन इसमें तीन सीटें और जोड़ी जा सकती है। वज़न कम रखने के लिए कार की बॉर्डी विशेष फाइबर से बनाई गई है। कार के ऊपरी हिस्‍से पर मोनो क्रिस्‍टलाइन सोलर सिलिकन सेल लगाये गए हैं ताकि यह अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का संग्रहण कर सके।

इस मौके पर डीटीयू के उप-कुलपति प्रोफेसर पी. बी. शर्मा ने बताया कि भारत में ऑटोमोबाइल का भविष्‍य सौर ऊर्जा और हाईब्रिड कारों में निहित है। उन्‍होंने कहा‍ कि डीटीयू भारत को सौर ऊर्जा वाहन और सौर ऊर्जा उत्‍पादन व्‍यवस्‍था के प्रति समर्पित है। सौर यात्री कार के क्षेत्र में डीटीयू ने पहला कदम वर्ष 2011 में ऑस्‍ट्रेलिया में आयोजित विश्‍व सौर चुनौती कार्यक्रम में भारत की पहली सौर कार के साथ शामिल होकर रखा था। (पीआईबी)
04-सितम्बर-2012 18:56 IST